उत्तराखंड में पंचायत चुनाव पर हाइकोर्ट ने लगाई रोक जाने कारण…

नैनीताल हाईकोर्ट

नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर रोक लगा दी है. आरक्षण नियमावली का नोटिफिकेशन जारी नहीं होने पर नैनीताल हाईकोर्ट ने पंचायत चुनावों पर रोक लगा दी है. शनिवार को ही राज्य निर्वाचन आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की थी.उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हेतु निर्धारित किए गए आरक्षण के रोटेशन प्रक्रिया को चुनौती देती याचिकाओं की सुनवाई की.

मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक महरा की खण्डपीठ ने आरक्षण को नियमों के तहत तय नहीं पाते हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर रोक लगा दी है. साथ में सरकार से जवाब पेश करने को कहा है. बीते शुक्रवार को कोर्ट ने राज्य सरकार से स्थिति से अवगत कराने को कहा था. परन्तु राज्य सरकार आज स्थिति से अवगत कराने में असफल रही है. कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार ने चुनाव की तिथि निकाल दी. जबकि मामला कोर्ट में चल रहा है. जिस पर कोर्ट ने पूरी चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी.

यह फैसला अदालत ने आरक्षण व्यवस्था की स्थिति स्पष्ट न होने के कारण सुनाया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि वह आरक्षण को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करने में असफल रही है।

हाईकोर्ट ने साफ निर्देश दिए हैं कि जब तक सरकार पंचायत चुनावों में आरक्षण व्यवस्था को लेकर स्पष्ट नीति अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं करती, तब तक चुनाव प्रक्रिया पर रोक जारी रहेगी।

इस आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग की तैयारियों को झटका लगा है, वहीं गांवों में चुनाव को लेकर चल रही हलचल भी ठंडी पड़ सकती है।

क्या है मामला:

राज्य सरकार द्वारा पंचायत चुनावों में अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के आरक्षण को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए थे। इसी को आधार बनाकर याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

अब आगे क्या:

हाईकोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह अगली सुनवाई में आरक्षण की स्थिति स्पष्ट करे। अब सभी की नजरें सरकार के अगले कदम और कोर्ट में प्रस्तुत होने वाली नीति पर टिकी हैं।

यह मामला न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक रूप से भी बड़ा माना जा रहा है, क्योंकि राज्य में ग्रामीण स्तर पर नेतृत्व के चयन की प्रक्रिया फिलहाल अनिश्चितकाल के लिए टल गई है।

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