देहरादून: राजधानी देहरादून के सबसे बड़े प्रोजेक्ट्स में शामिल रिस्पाना–बिंदल एलेवेटेड रोड प्रोजेक्ट पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस प्रोजेक्ट से जुड़े मामलों की सुनवाई करते हुए कहा कि अगली सुनवाई तक कोई भी कार्य आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। कोर्ट का यह फैसला उन करीब 2,500 परिवारों के लिए राहत की खबर है, जिनका घर-बार इस परियोजना की जद में आने वाला था।
यह आदेश हाईकोर्ट की 16 अगस्त 2025 को हुई सुनवाई के दौरान दिया गया। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि परियोजना से रिस्पाना और बिंदल नदियों के किनारे का पर्यावरण प्रभावित होगा और आम जनता को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसी को लेकर उन्होंने आपत्तियां दर्ज करवाईं।
कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सार्वजनिक सुनवाई की तारीख आगे बढ़ा दी। यानी अब परियोजना से जुड़े लोग और प्रभावित पक्ष 25 अगस्त तक अपनी राय और आपत्तियां दर्ज करा सकेंगे।
₹6,500 करोड़ का था मेगा प्रोजेक्ट
सरकार ने रिस्पाना और बिंदल नदियों के किनारे यातायात दबाव कम करने के लिए इस प्रोजेक्ट को तैयार किया था। लगभग ₹6,500 करोड़ की लागत से बनने वाला यह प्रोजेक्ट राजधानी की सड़कों को जाम से राहत देने वाला बताया जा रहा था। योजना के तहत यहां एक बड़ा एलेवेटेड रोड (फ्लाईओवर कॉरिडोर) और चौड़ीकरण का काम किया जाना था।
प्रभावित परिवारों की दलील
प्रोजेक्ट के विरोध में स्थानीय निवासियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। प्रभावित परिवारों का कहना था कि बिना पूरी योजना बताए और पुनर्वास की गारंटी दिए, उनके घर तोड़े जा रहे हैं। कई लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रोजेक्ट पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील है, क्योंकि रिस्पाना और बिंदल नदियां पहले से प्रदूषण और अतिक्रमण की मार झेल रही हैं।
हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद कहा कि अगली सुनवाई तक इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने पर रोक लगाई जाती है। कोर्ट ने सरकार और संबंधित विभाग से जवाब भी मांगा है कि प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और पर्यावरणीय संतुलन के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
अगली सुनवाई 4 सितंबर को
अब इस मामले की अगली सुनवाई 4 सितंबर 2025 को होगी। तब तक प्रोजेक्ट पर पूरी तरह रोक रहेगी। कोर्ट का कहना है कि बिना सभी पक्षों को सुने और स्पष्ट रिपोर्ट देखे किसी भी काम को आगे बढ़ाना उचित नहीं होगा।
लोगों की राय
इस फैसले के बाद प्रभावित परिवारों ने राहत की सांस ली है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वे विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन विकास की आड़ में उनका घर उजड़ना मंजूर नहीं। वहीं, शहर के कई लोगों का मानना है कि यह प्रोजेक्ट ट्रैफिक की बड़ी समस्या को हल कर सकता है, इसलिए सरकार को बीच का रास्ता निकालना होगा।