छत्तीसगढ़ :छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में दो कैथोलिक ननों को जबरन धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद विवाद गहराता जा रहा है। गिरफ्तार ननों की पहचान सिस्टर प्रीति मैरी और सिस्टर वंदना फ्रांसिस के रूप में हुई है। इनके साथ एक अन्य व्यक्ति सुकमान मंडावी को भी हिरासत में लिया गया है।
क्या है मामला?
घटना 25 जुलाई की है जब दुर्ग रेलवे स्टेशन पर तीन आदिवासी लड़कियों के साथ इन ननों को रोका गया। बजरंग दल के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि इन लड़कियों को झूठे वादों के साथ ले जाकर जबरन ईसाई धर्म अपनाया जा रहा था। पुलिस ने शिकायत के आधार पर तीनों आरोपियों को हिरासत में लिया और धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 1968 और मानव तस्करी विरोधी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया।
लड़कियों का क्या कहना है?
पुलिस की पूछताछ में तीनों लड़कियों ने बताया कि वे बालिग हैं और स्वेच्छा से आगरा जा रही थीं, जहां उन्हें घरेलू सहायिका की नौकरी दी जानी थी। लड़कियों के पास पहचान पत्र और माता-पिता की अनुमति भी मौजूद थी। ऐसे में ननों के खिलाफ दर्ज मामला और भी ठोस हो गया है।
चर्च और विपक्ष का विरोध
इस गिरफ्तारी के खिलाफ कैथोलिक चर्च और ईसाई संगठनों ने सख्त नाराज़गी जताई है। उनका कहना है कि ननों को बेवजह फंसाया जा रहा है और यह कार्रवाई एक “राजनीतिक साजिश” हो सकती है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर इसे “संघ और भाजपा की गुंडागर्दी” बताया और तुरंत ननों की रिहाई की मांग की।
वहीं केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने इसे धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अन्याय का उदाहरण बताया।
कोर्ट से नहीं मिली राहत
27 जुलाई को तीनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। इसके बाद 30 जुलाई को दुर्ग की अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें बिलासपुर स्थित NIA कोर्ट से संपर्क करने को कहा। फिलहाल, लड़कियों को सरकारी संरक्षण गृह में रखा गया है।
सड़कों पर उतरा केरल
इस गिरफ्तारी के विरोध में केरल के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए। तिरुवनंतपुरम और कोच्चि में पादरियों, छात्रों और सामाजिक संगठनों ने विरोध मार्च निकाला और इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बताया। कुछ भाजपा नेताओं ने भी इस कार्रवाई को “ग़लतफ़हमी” बताया और ननों को समर्थन दिया।